Product Code :CAG 11
Author : Dr. Bramhanand Tripathi
ISBN : 9789381484753
Bound : Hard Cover
Publishing Date : 2025
Publisher : Chaukhamba Surbharati Prakashan
Pages : 10+1052+48
Language : Hindi
Length: 24 cm
Width : 18 cm
Height : 4 cm
Weight : 1300 gm
Availability : 93
चरकसंहिता आयुर्वेद में प्रसिद्ध है। इसके उपदेशक अत्रिपुत्र पुनर्वसु, ग्रंथकर्ता अग्निवेश और प्रतिसंस्कारक चरक हैं। प्राचीन वाङ्मय के परिशीलन से ज्ञात होता है कि उन दिनों ग्रंथ या तंत्र की रचना शाखा के नाम से होती थी। जैसे कठ शाखा में कठोपनिषद् बनी। शाखाएँ या चरण उन दिनों के विद्यापीठ थे, जहाँ अनेक विषयों का अध्ययन होता था। अत: संभव है, चरकसंहिता का प्रतिसंस्कार चरक शाखा में हुआ हो। चरकसंहिता में पालि साहित्य के कुछ शब्द मिलते हैं, जैसे अवक्रांति, जेंताक (जंताक - विनयपिटक), भंगोदन, खुड्डाक, भूतधात्री (निद्रा के लिये)। इससे चरकसंहिता का उपदेशकाल उपनिषदों के बाद और बुद्ध के पूर्व निश्चित होता है। इसका प्रतिसंस्कार कनिष्क के समय 78 ई. के लगभग हुआ। त्रिपिटक के चीनी अनुवाद में कनिष्क के राजवैद्य के रूप में चरक का उल्लेख है। किंतु कनिष्क बौद्ध था और उसका कवि अश्वघोष भी बौद्ध था, पर चरक संहिता में बुद्धमत का जोरदार खंडन मिलता है। अत: चरक और कनिष्क का संबंध संदिग्ध ही नहीं असंभव जान पड़ता है। पर्याप्त प्रमाणों के अभाव में मत स्थिर करना कठिन है। चरक संहिता पुस्तक आचार्य ब्रम्हानंद त्रिपाठी जी द्वारा सम्पादित एवं व्याख्या की गई है। अभी तक चरक संहिता की जितनी भी टिका या व्याख्या हुई है ये उन सबसे सबसे लोकप्रिय और सरल है।
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