Abhautik Satta Me Pravesh अभौतिक सत्ता में प्रवेश

Abhautik Satta Me Pravesh अभौतिक सत्ता में प्रवेश

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Product Code :AP00

Author : Arun Kumar Sharma

ISBN : 9788190679657

Bound : Paperback

Publishing Date : 2014

Publisher : Astha Prakashan varanasi

Pages : 296

Language : Hindi

Availability : 93

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अभौतिक सत्ता में केवल भाव है, भावना है, अनुभूतियाँ है - जिनको प्रमाणित नहीं किया जा सकता I उसी प्रकार जैसे आप सपने में घटी घटनाओ अथवा उनसे संबंधित अनुभवों को वाणी द्वारा व्यक्त नहीं कर सकते I असंभव है आपके लिए I अभौतिक सत्ता में कोई आध्यात्मिक घटना घटती है तो उससे सम्बंधित अनुभवों को व्यक्त करने के लिए यदि कोई साधना है तो वह है परावाणी I वेद शास्त्र पुराण, उपनिषद दर्शन आदि जितने भी आध्यात्मिक और धार्मिक ग्रन्थ है - उन सभी का मूल स्रोत एकमात्र परावाणी है I और परावाणी का शरीर में केंद्र है नाभिमण्डल I वास्तव में जितने भी आध्यात्मिक और धार्मिक भाव है वे सब सर्वप्रथम परावाणी के रूप में आविभूर्त होते है I आवश्यकतानुसार वे भाव पश्यन्ति वाणी में सूक्ष्मतम से सूक्ष्मतम तरंगो में परिवर्तित होते है I फिर वे ही तरंगे सात स्वरों के रूप में प्रकट होती हैमध्यमा वाणी में I उन सात स्वरों का संबंध सप्तऋषि मंडल से बतलाया गया है I मध्यमा वाणी में परिवर्तित होकर आने वाले सातो स्वर विभिन्न प्रकार के विचारो के रूप में परिवर्तित होते है और वे ही विचार बैखरी वाणी के रूप में हो जाते है परिवर्तित I बैखरी वाणी के रूप में बाहर निकलने वाले शब्दाक्षर बिना स्वर का आश्रय लिए प्रकट नहीं हो सकते I इसलिए स्वर प्रधान है I "अभौतिक सत्ता में प्रवेश में " आध्यात्मिक घटनाओ उनसे संबंधित अनुभवों तथा भावो को किस सीमा तक बैखरी रूप दिया है मैंने, इसका निर्णय स्वय मेरे लिए ही असाध्य है I निर्णय तो वही व्यक्ति कर सकता है जिसने आत्मभूमि में उच्चावस्था प्राप्त कर लिया है I जहाँ तक आध्यात्मिक पिपासा का प्रश्न है, वह इस पुस्तक द्वारा अवश्य शांत हो सकती है और आत्मा को एक विशेष सीमा तक अभौतिक शांति हो सकती है I
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